अंधेरे को चिर दे, तू वो सितारा बन, दर्द की पिंजरे को खोल, खुला आसमां तू चुन। ग़म न करना ख़्वाबों का वो तो पलकों से खेल जाते हैं, आंखे खुलते ही, सच से मिलते ही रिस्ता पलकों से तोड़ जाते हैं। *********************************************** Read the …
Read moreमजबूरियों से बंधे हैं सब अब किसी से क्या उम्मीद किया जाए अजनबी शहर में अपना तो कोई ना था फिर क्यों अपनी आंसू जाया किया जाए। ********************************************* कहां कहां से समेटू तुझे ऐ जिंदगी, जिधर भी देखूं तू बिखरी पड़ी है सवाल ये नह…
Read moreमै अलग हुं,क्यों की चाहे कितनी बार भी तोड़ लो मुझे , फिर से जुड़ जाती हूं चाहे कितनी बार भी गिरा दो मुझे , उठके खड़ी हो जाती हूं मैं अलग हूं क्यूं की कोई सीमा में बंधती नहीं , कभी रुक जाती नहीं कोई दूर करदे दिल से , फिर भी उसे …
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