दूध से भरा हुआ एक तालाब

 

एक समय की बात है, जब एक राजा ने कुछ अपने कर्मचारियों से कहा एक तालाब खोदने के लिए। कर्मोचारिओं के द्वारा कुछ श्रमिकों को नियुक्त किया गया। जब तालाब खोदने का काम समाप्त हुआ , राजा ने राज्य के लोगों को बुलाया और यह घोषणा किया की,  हर घर से एक व्यक्ति को आज रात एक मटका  दूध लाना होगा और उसे तालाब में डालना होगा। इस प्रकार, सुबह होने तक तालाब में दूध भरा होना चाहिए। ऑर्डर प्राप्त करने के बाद, सभी लोग अपने घरों की ओर लौट गए।

एक आदमी ने तय किया कि वह रात में दूध लेकर जाएगा। घर जाके उसने अपने पत्नी को यह बात बताई। उसकी पत्नी यह बात सुन कर कहा, “सभी लोग तो दूध लेकर आएंगे, तुम अगर एक मटका  पानी तालाब में डाल दोगे, किसीको भी पता नहीं चलेगा। क्योंकि रात में अंधेरा होगा, इसलिए कोई नहीं देखेगा। उस आदमी को अपनी पत्नी की बात सही लगी। उसने जल्दी से जाकर पानी तालाब में डाला और वापस आ गया।

सुबह, राजा ने तालाब का दौरा किया और उनको बड़ी हैरानी हुई कि तालाब में केवल पानी भरा हुआ था! क्यूँ की, हर कोई दूसरे व्यक्ति की तरह सोचा कि "मुझे दूध डालना नहीं है, कोई और करेगा।"

कहानी का सिखने वाला सिद्धांत है, यह मत सोचो कि दूसरे इस बात का ध्यान रखेंगे। बल्कि, यह खुद से ही शुरू होता है, अगर आप नहीं करते हैं, तो कोई और नहीं करेगा। इसलिए, खुद को बदलो अगर कुछ बदलाव चाहते हो

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