दुनिया को बदलो मत

 

एक समय की बात है, जब एक राजा एक समृद्धि भरे देश में राज करते थे। एक दिन, उन्होंने अपने देश के कुछ दूरस्थ क्षेत्रों की यात्रा की। जब वह अपने महल में लौटे, तो उन्होंने पाया की कि उनके  पैरों में बहुत दर्द हो रहा है, क्योंकि यह पहली बार था जब उन्होंने इतनी दूर की यात्रा की थी, और जिस रस्ते पर वो चले थे, वह बहुत कठिन और पत्थरीला था। इसके बाद, उन्होंने अपने लोगों को आदेश दिया  “सिपाहीओं , पुरे देश की हर राह को चमड़े से ढक दो।“

 

निश्चित रूप से, इसके लिए हजारों गायों की त्वचा की आवश्यकता होती, और इसमें एक भारी राशि का खर्च होता। तब राजा के एक बुद्धिमान सेवक ने हिम्मत करके राजा को एक अच्छा सुझाव देने का साहस किया, "महाराज , आपको  इतने अनावश्यक धन खर्च करने की जरुरत क्या है ? आप  बस अपने पैरों को थोड़े से चमड़े से ढँक लीजिये." राजा चौंक गए और थोड़े देर सोचने लगे , लेकिन बाद में उन्होंने  इस सुझाव को स्वीकार किया, और अपने लिए एक "जूता" बनवाया।

 

इस कहानी में जीवन का एक  मूल्यवान सिख है: इस दुनिया को खुशहाल बनाने के लिए,आप खुद को - अपने हृदय को - बदलें, न कि दुनिया को।


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