एक समय की बात है,
कड़कती गर्मियों के दिनों में, एक चींटी को बहुत प्यास लगी थी। उसने पानी की
तलाश में एक नदी की ओर प्रस्थान किया।
नदी के किनारे पहुंचकर,
वह एक छोटी सी चट्टान पर चढ़ गई और वहां से
पानी पीने की कोशिश करने लगी। अचानक, उसका पैर फिसला और वह नदी में गिर गई। नदी का जल बहुत तेज़ था, और चींटी बहुत तेज़ी से बहने लगी।
बगल में एक पेड़ पर एक
कबूतर बैठा हुआ था। वह चींटी को गिरते हुए देख लिया और उसकी मदद करने का निर्णय
लिया। कबूतर ने अपनी पंखों को फैला कर चींटी के पास उड़ान भरने का प्रयास किया।
हालांकि, कबूत्तर को अपनी पंखो से चींटी को उठाने में
कठिनाई हो रही थी। तब उसे एक विचार आया, कबूतर ने अपने मुंह में एक छोटी सी टहनी लि और उससे चींटी
को ऊपर लाने में सहायता करने लगा।
धीरे-धीरे, कबूतर ने चींटी को बाहर निकाला और उसको सुकून
दिलाया। चींटी ने कबूतर को मन से धन्यवाद दिया और दोनों मित्र बन गए।
इस कहानी से हमें यह
सिखने को मिलता है कि सहायता करना और सहायता लेना हमारे जीवन में एक-दूसरे के
प्रति सद्भावना बनाए रखने का महत्व है। यह भी दिखाता है कि छोटी सी भी मदद बड़ी
बदलाव ला सकती है और सहयोग से समस्याओं का समाधान संभव हो सकता है।
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