एक दूधवाला एक दिन बाज़ार
की और दूध बेचने जा रहा था। उसने अपने सिर पर दूध से भरा एक मटका रखा था। क्यूँ की
रास्ता बहुत दूर था, वो अपने मन में
कुछ खयाली पुलाव पकाते हुए जा रहा था।
वो सोच रहा था, इस दूध को बेच कर जो पैसे मिलेंगे, में उस पैसे से सौ मुर्गी खरीदूंगा और उन्हें
अपने घर के पिछवाड़े में रखूँगा। जब वे पूरी तरह बड़ी हो जाएंगी, तो उनसे बहुत सारे चूजे निकलेंगे। उन मुर्गियां
और चूजों को में बाजार में अच्छे मूल्य पर बेच सकूँगा।
वो चलते जा रहा था और
अपने आप से कह रहा था, "फिर मैं दो छोटे
बछड़े खरीदूंगा और उन्हें पास के जमीं से घास खिलेगा। जब वे पूरी तरह बड़े हो
जाएंगे, तो मैं उन्हें और अच्छे
मूल्य पर बेच सकूंगा!"
रास्ता थोडा लम्बा था। और
उसी हिसाब से दूध वाले का सपना भी लम्बा हो गया था।
वो दिन में सपने देखते
हुए, आपने आप से कहा,
"जल्दी ही, मैं एक और गाय खरीद सकूँगा, और मेरे पास और दूध होगा बेचने के लिए।फिर में
एक साइकलखरीदूंगा और उस पर बैठ कर दूध बेचने जाऊंगा। फिर मेरे पास और ज्यादा पैसा होगा... जिस से
में एक गाड़ी खरीदूंगा और उस पर बैठ कर दूध बेचने जाऊंगा।"
ढेर सारे पैसे कमाने के बाद में एक सुन्दर लड़की
से सादी कर लूँगा, मेरे दो बच्चे
होंगे, बच्चे शरारत करेंगे,
तो में अपने बीबी पर गुस्सा हो जाऊंगा।
इन खुशी भरे ख्यालों के
साथ, वह उछलने और कूदने लगा।
अचानक उसका पैर फिसला और वो गिर गया। सर
पर रखा मटका गिर कर टूट गया और सारा दूध ज़मीन पर बह गया।
अब और सपने नहीं, वह बैठ कर रोने लगा।
इसलिए कहते हैं, खयाली पुलाव बनाने से अच्छा है, अपने काम को मेहनत और लगन के साथ करो।
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