कभी किसी रास्ते पर,मिल जाओ ना तुम मुझे
एक नए सफर का सुरूवाद करेगें,
अब से ना तुम हक़ जताना, हम भी हक़ ना जताएंगे,
तुमसे मोहब्बत हो गई तो,राज दिल में ही हम छुपा लेंगे,
अजनबी की तरह ही सही,साथ साथ तो चलेंगे,
तुमसे दूरी तड़पाती है,अब ना कभी बिछड़ेंगे।
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तुम और रात एक से हो,इंतजार जो कराते हो,
अपनी बाहों में मुझे सुकून से सुलाते हो।
कितनी भी शिकायत करूं खामोशी से सुनते हो,
मेरी हर एक तकलीफ को खुद में समा लेते हो।।
दिन का उजाला हो,या जमाने की सितम,
तुम हर हाल में मुझे मुस्कुराना सिखाते हो।।
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एक दिया तेरे नाम का, हर साल जलाती हूं
तू कहीं भी रहे, तेरे खुशियों की दुआ करती हूं।
मोहब्बत की नहीं है, इबादत की है
तू साथ रहे या ना रहे, तेरे होने की दुआ करती हूं।
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तेरे साथ ये जिंदगी ऐसे ही बीत जाए
दो पल जिन्दगी से हम चुरा लाएं
भूल कर जमाने की सितम
एक दुझे में खो जाएं
तेरे साथ ये जिंदगी ऐसे ही बीत जाए।
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कृष्ण के मोहब्बत में, राधा हुई थी दीवानी
इश्क हुआ मुकम्मल, मगर अधूरी रही कहानी
दर्द, आंशु और तन्हाई, तोहफे में मिली राधा को
शायद त्याग और समर्पण, है सच्चे प्यार की निशानी।
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पूर्ण है श्रीकृष्ण, परिपूर्ण है श्री राधे, आदि है श्री कृष्ण, अनंत है श्री राधे।
शाम भी गजब का था उस रोज
तेरे दिल के करीब में थी उस रोज
इश्क हमारा लाजवाब था उस रोज
धरती और आकाश, गवाह भी थे उस रोज
यूं ही कहते कहते तुमने तो कह दिया उस रोज
धरती और आकाश मिलेंगे जिस रोज
मोहब्बत हमारा होगा मुकम्मल उस रोज
समय बीत ता गया और तब से हर रोज
पूछती हूं आकाश से, जमीन पर वो आएगा किस रोज?
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इश्क लाजवाब मगर अश्क बेशुमार था,
कहानी थी लंबी मगर किस्सा मुट्ठी भर था,
आग लगी थी दिल में मगर सब्र समंदर था,
मिलन रूह से रूह का था मगर जिस्म कोसों दूर था।
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मोहब्बत तुमसे है और तुमसे ही रहेगी
यही है इस दिल की अर्जी
तुम हमे अपनाओ चाहे ठुकरा दो
खैर तुम्हारी मर्जी।
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