Hindi Poetries and Quotes(4)

मजबूरियों से बंधे हैं सब

अब किसी से क्या उम्मीद किया जाए

अजनबी शहर में अपना तो कोई ना था

फिर क्यों अपनी आंसू जाया किया जाए।

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कहां कहां से समेटू तुझे ऐ जिंदगी,

जिधर भी देखूं तू बिखरी पड़ी है

सवाल ये नही की सवाल कठिन है

हैरत तो ये है की....

हर एक कदम पे मेरी इम्तिहान खड़ी है।

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समंदर भी करीब था

और प्यास भी जोरों की थी

उलझन तो तब हुई....

जब पांवों रुकने को मजबूर थे

और समंदर को बेढ़ीओं ने जकड़े थे

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उस दर्द को जो हमने झेला है, तुम ना समझोगे

उस फर्क को जो हमने झेला है, तुम ना समझोगे

बादल की तरह बदलने का शौक जो रखते हो

बरसो से प्यासी मिट्टी की तड़प तुम ना समझोगे

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तुम्हारी बाहों में सारी उम्र जीना है

तुम्हारे ही बाहों में आखरी सांस लेना है

इतना तो इनायत करदो मेरे यारा

रब से पहले नाम तुम्हारा लब पे मेरे आना है ।

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एक पल की भी दूरी सदियों की लगती है

बता तुझसे बिछड़ कर जिऊं में कैसे?

तुझे खोने की डर से भी दिल सहम जाता है

आंखो से तुझे ओझल होने दूं कैसे ?

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बात तो करो मुझसे, ऐ तारे आसमानी

अब तो नहीं हूं मै, तुमसे अनजानी

पास तुम हो अपने चांद के, मेरा चांद है मुझसे दूर

तनहा मै हूं हर रात जागती, उसके सपने लिए हजार ।

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कहने दो मुझको आज दिल की बात

तुम्हारे यादों मै जागे हैं ना जाने कितने रात।

तुम्हारे ख़यालो का सफर कितने दूर तक तय किए हैं

कितने बार अपने घर का पता भी भूल गए हैं।

अब है मुश्किल तुम बिन एक पल भी जिंदा रहना

हो सके तो तुम भी मेरे बातों पर गौर करना।

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बात तो करो मुझसे, गुमसुम क्यूं बैठे हो?

खता क्या हुई मुझसे, उखड़े से क्यूं रहते हो ?

देखो आसमान की तरफ, चांद मुझे चिढ़ाती है

चांद जब है रात के साथ, हम क्यूं तुमसे दूर है ?

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कभी शरारत भरी तेरी बातें, तेरे चेहरे की वो मुस्कान

तेरा रूठना और मेरा मनाना, वो मुझसे प्यारी प्यारी बातें करना

साथ जीने मरने की कसमें खाना……

सब झूठ था फिर भी...इतनी सारी यादें तो है

शाम गुजारने के लिए और क्या चाहिए

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तेरे प्यार का स्वाद भी, चाय की एक चुस्की जैसा है

कभी तीव्र तो कभी स्वाद हल्का है

कभी गर्म तो कभी मध्यम होता है

कभी मीठी तो कभी फीका होता है

साजन तेरा प्यार, चाय की एक चुस्की जैसा है

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