एक रात नहीं बीती तुझ बिन,तेरे यादों ने ये क्या किया
कभी आंसू में ठहरे गया तू,कभी हसीं में छुप गया
कभी सपनो में मुस्कुराया तू,कभी खयालों में रूठ गया
रात की तन्हाई को तूने महफ़िल बना दिया
जबसे दूर गया तू, तुझे और भी करीब पाया
एक रात नहीं बीती तुझ बिन,तेरी यादों ने ये क्या किया।
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सब झूठ था मगर अच्छा लगता था
कहीं तो कुछ था जो सचा लगता था!
मेरा दिल था जो उसके सीने में धड़कता रहता था
मैं जान थी उसकी, वो यही कहता रहता था !!
ना थी वक्त की पाबंदी,ना जमाने का डर था
ना थी कोई तकरार बस प्यार ही प्यार था !!!
सच तो था सब मगर सपना जैसा था
था सब झूठ मगर सब कुछ मेरा अपना था !!!!
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यही जवाब है तुम्हारा तो अब तक क्यूं चुप थे
बारिश को आना ही था तो अब तक क्यूं धूप थे।
आखरी पन्ने में था सजा ए मौत मुकम्मल
हर एक पन्ना पलटने की जरूरत क्या थे
हम तो कब से निहत्ते खड़े हैं तुम बेखौफ ही चले आते।
जिन्दगी खुदगर्ज है हमे मालूम था मगर
नसीब की बात ना होती तो हम इंतजार ना करते
तुम्हारा और मेरा साथ तो बरसो पुराना था
नसीब में नहीं हो तुम हम यकीं कैसे करते।
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पुरी की पूरी जिंदगी हंसके गुजार दी
तेरी कमी तो थी मगर, जमाने को खबर ना की
मेरे आंसु कभी भी तुम्हे मंजूर ना थे
बजह यही है हमने हर दर्द को मुस्कुराहट दी
दिल में हो मगर लब पे तुम्हारा नाम आने ना दी
इस कदर हमने वफ़ा ऐ मोहब्बत की।
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पेहले तो गले लगा कर अपना बनाया मुझे
फिर इश्क़ बुरा है केह कर हमे दूर कर दिया
समा जलती रही रात भर यूंही अकेले में
फिर भी ना परवाने पर कोई असर हुआ
हजारों फरियाद लिए कली मुस्कुराई
डाली से टूटने का दर्द जाहिर ना होने दिया
हमने जब खफा होके दूर जाना चाहा
इस नाचीज़ की तभी उनको याद बहुत आया
बदन से घाव तो मिटे मगर दिल से दर्द ना जाए
गलती को होश में रह कर कहां कोई दोहराया।
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