निगाहों में बसी है एक सपनो का सहर,
जिसमे बसे हैं उम्मीदों से बनी कई घर,
जिन घरों में रहते हैं ना जाने कितने अरमान,
हर एक अरमानों में लिखा है तेरा नाम।
कुछ याद भी है
कुछ याद भी है, कब मिले थे हम
लाल हरा नीली गुलाबी रंग में
जब लोग नहाए हुए थे
हम तुम सब से छुपके प्यार के बारिश में
हल्के से भीगे हुए थे।
कुछ याद भी है, कितने कस्मे खाए थे हम
लोग जब बेवफाई के
किस्से सुना रहे थे
हम तुम प्यार के हर रस्मों को
दिल से निभा रहे थे।
कुछ खबर भी है, कहां खो गए हैं हम
एहसास की जगह रीति रिवाज को
एहमियत देने लगे हैं
अब सच में हम दोनों
बहुत बदलने लगे हैं।
जीनमेदरी निभाना था तुम्हे
इसलिए मुझे दिशा बदलनी पड़ी
अब से तुम खुश रहो
अपने जीनमेदरियों के साथ
और मुझे खुश रहने दो
तुम्हारे यादों के साथ।
सत्य
आज फिर से किसीको लौटते हुए देखा
किसी निस्तेज तन को सफेद चादर में लिपटे हुए देखा।
होगा वो किसी का पिता,पति, भ्राता या पुत्र
आज वो एक शब है यही है पहचान एक मात्र।
कभी उसके पास भी हुए होंगे ना जाने कितने कारोबार
कितने जमीन पर रहा होगा उसका भी अधिकार।
खिलखिलाया होगा वो भी अपने कर्मो के साथ
अपनी चालाकी से दिया होगा कितनो को मात।
सब छोड़ छाड आज लौट चला है वो
जहां से आया था वहां चल पड़ा है वो।
काहे को करता तू छल कपट, काहे को खींचे दूसरे के पाओं
खुद की कस्ती है बीच मझधार, छेद करे क्यूं औरों के नाव।
आया है इस जग में अगर, कुछ ऐसा करके जा
तेरे जाने के बाद भी, तेरा निशां रहे जिंदा।
एक मासूम की तड़प
अफसोस हुआ
रोते हुए एक मासूम के चेहरे पर
हसीं की झलक देखकर
थोड़ी देर पहले भूख से व्याकुल
रो रहा था अपनी मां से लिपटकर
बदन था अर्धनग्न चेहरे पर थी लाचारी
लाचारी जो छुपा रही थी आंचल में
उसकी प्यारी महतारी
ग़म छुपाने की खातिर वो सहसा
हंस पड़ा मारकर किलकारी
कहने लगा वो मां से "मां दुख ना कर
मैं हूं ना... अब काहे का फिकर
तेरे लिए हर खुशी मैं लाऊंगा
तेरे लिए आसमां से टकरा जाऊंगा"
उसे क्या पता था दुनिया है कितनी निष्ठुर ..
है ये कितना जग जाहिर
रोते हुए को रुलाने में सब हैं यहां कितने माहिर
तो सुन तू ऐ मासूम से बच्चे!
कभी दिन ना वो आएगा
मांगने से तू कभी खुशी ना पाएगा
गर चाहत है खुशी की तुझे तो
ज़माना ये तुझे तड़पाएगा
लड़कर ज़माने से ही तू अपनी खुशी छीन पाएगा
शाम से तेरे इंतजार के आस लगाए बैठे हैं
 कहीं तू राह भटक ना जाए दिया जलाएं बैठे हैं
 तेरा वादा झूठा था और हमे भी ये मालूम था
 हम तो जानबूझ कर ये बेहेम दिल में सजाए बैठे है
 यहां अपनों से अपनेपन की उम्मीद भी नहीं
 हम तो एक अजनबी का बेवजह ही ऐतबार किए बैठे हैं।
अंधेरे में जीते जीते आदत सी हो गई है
 रात अपना हमसफर और चांद बेवफा हो गई है
 सफर ए तन्हाई में खुशी गम एक हो गई है
 दीवार के उस पार आंधी शांत हो गई है।
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वो पुराना दर्द
    बार बार चौराहे पे मिलता है
    जब कहीं दूर निकलने की सोचती हूं
वो पुराना दर्द
    सबसे दिलचस्प पन्ने में मिलता है
    जब जिन्दगी की किताब पलटती हूं।
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कोई बुझा दो ऐ समा हमने सौंक बदल दी
    प्यार अब अंधेरों से करने लगे हैं
    बहुत करके देख लिया इश्क में पैरवी
    अश्क हम अकेले में बहाने लगे हैं।
दिल बेचैन रहने लगा है आज कल
     परछाई से भी घबरा जाती हूं आज कल
    जाने पहचाने चेहरे भी मुझसे
    अनजान रहने लगे हैं आज कल
    कल किसी चौराहे पर खुशी मिली थी मुझे
    मैंने उसका हाल पूछा वो भी गम में है आज कल
    दिल की गली में कहीं गुमशुम बैठी थी मैं
    खुद से मिली तो देखा खुद में नहीं थी मैं
    रोशनी ने तन्हा किया बड़ा मायुश हूं आज कल
    ऐ रात मेरे दिल में आ और जरा पूछले मेरा हाल चाल।
तुमने देखा,मैंने तुम्हे भुला दिया
    इतना आसान भी नहीं था
    दिल के टुकडें अब आंखों में चुभते हैं
    कई बार दरिया आंखों में उतर आती है
    मैंने फिर भी कर लिया।
    तुमने देखा,मैंने तुम्हे भुला दिया
    इतना मुश्किल भी नहीं था
    किसी और पर अब भरोसा नहीं करती हूं
    खुद के साए से भी दूर भागती हूं
    मुरछाई हुई हूं फिर भी खिल रही हूं
    बिखरी हुई हूं फिर भी संभल रही हूं
    तुमने देखा,मैंने जी लिया
    मैंने तुम्हे भुला दिया।


 
 
 
 
 
 
 
 
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