"सच्चाई और साहस: नए सम्राट की कहानी"

 


एक राज्य का सम्राट बुढ़ा हो रहा था और उसे यह महसूस हो रहा था कि अब उसे अपने उत्तराधिकारी को चुनने का समय आ गया है। उसने अपने सहायकों या अपने बच्चों में से किसी को चुनने की बजाय कुछ अलग करना चाहा। 

उसने राज्य के युवाओं को एक साथ बुलाया। उसने कहा, "मेरा समय आ गया है कि मैं अपना पद छोड़ दूं और अगले सम्राट को चुनूं। मैंने निर्धारित किया है कि मैं तुम में से किसी को चुनूंगा।" बच्चे चौंक गए! लेकिन सम्राट ने कहा, "मैं आज हर एक व्यक्ति को एक बीज देने जा रहा हूँ। एक बहुत विशेष बीज। मैं चाहता हूँ कि तुम इस एक बीज को आज ही रोपो, पानी दो, और एक साल बाद आकर मुझे बताओ कि तुमने इस एक बीज से क्या उगाया है। तब मैं तुम्हारे उगाए गए पौधों का मूल्यांकन करूँगा, और जिसे भी मैं चुनूंगा, वह अगला सम्राट बनेगा!" एक लड़का, जिसका नाम यादब था, वह उस दिन वहाँ था और उसने भी  एक बीज प्राप्त किया। 

उसने घर जाकर खुशी-खुशी  बीज को रोपा और ध्यानपूर्वक पानी दिया। हर दिन उसने इसे पानी दिया और देखा कि क्या उगा। लगभग तीन हफ्ते के बाद, कुछ और युवा लोग अपने बीजों और उगाए जा रहे पौधों के बारे में बात करने लगे। यादब ने अपने बीज की जाँच की, लेकिन कुछ भी नहीं उगा। तीन हफ्ते, चार हफ्ते, पांच हफ्ते बीत गए। फिर भी कुछ नहीं उगा। उस वक़्त तक अन्य लोग अपने पौधों के बारे में बात कर रहे थे, लेकिन यादब के पास कहने केलिए कुछ नहीं था, और उसे महसूस हो रहा था कि वह एक असफल ब्यक्ति  है। 

छह महीने बीत गए, लेकिन यादब के मटके में फिर भी कुछ नहीं था। उसने बस इसे उगाया था , लेकिन कुछ नहीं निकला था । लोगों ने उसके दोस्तों को कुछ नहीं कहा, हालांकि। वह बस अपने बीज के उगने का इंतजार कर रहा था। एक साल बीत गया। सम्राट के कहे मुताबक,





राज्य के सभी युवा लोग सम्राट के समीक्षा के लिए अपने पौधों को लाए। यादब  ने अपनी माँ से कहा कि वह एक खाली मटका लेकर नही जाएगा। लेकिन उसके माँ ने समझाया की जो भी हो हमेशा ईमानदार रहना चाहिए,

यादब अपने खली मटके के साथ सम्राट के पास गया। जब यादब पहुंचा, उसने देखा कि दूसरे युवा लोग कैसे उगे हुए पौधों की विविधता की बात कर रहे हैं। लेकिन यादब के खाली मटके को देख कर कई युबकों ने उस पर हंसी। कुछ उसके लिए तरस खा रहे थे और कुछ बस बोले, "कोई बात नहीं, तुम्हारा प्रयास अच्छा था" जब सम्राट पहुंचे, उन्होंने कक्षा की ओर देखा और युवा लोगों को स्वागत किया। यादब  सबसे पीछे  छुपने की कोशिश कर रहा था।क्यूँ की उसे डर था की सम्राट उसके खली मटके को देख कर गुस्सा हो जाएँगे। "तुम्हारे कितने महान पौधे, पेड़ और फूल हैं," सम्राट ने कहा। "आज, तुम में से कोई अगला सम्राट नियुक्त होगा!" 

 सम्राट ने एकदम पीछे खड़े यादब को देखा और उसके खाली मटके को सामने लाने के लिए अपने गार्ड को आदेश दिया। यादब डर गया। "सम्राट जानते हैं कि मैं एक असफल हूँ! शायद उन्होंने मुझे मौत की सजा देंगे!" जब यादब  सम्राट के सामने पहुंचा, उसने उसका नाम पूछा। "मेरा नाम यादब  है," उसने कहा। सभी युबक  हंस रहे थे और उसका  मजाक उड़ा रहे थे। सम्राट ने सभी से चुप रहने केलिए कहा। उसने यादब को देखा, और फिर जनता को घोषित किया, "इसे देखो, तुम्हारा नया सम्राट! उसका नाम है यादब!" यादब  को बिस्वास नही हो रहा था। उसने अपने बीज को उगा नहीं सका था, वह कैसे नया सम्राट बन सकता था

फिर सम्राट ने कहा, "एक साल पहले, मैंने यहाँ हर एक व्यक्ति को एक बीज दिया था और कहा था कि तुम उस बीज को लेकर, रोपो, पानी दो, और आज मुझसे वापस मिलो। लेकिन मैंने तुम्हें उबले हुए बीज दिए थे, जो नहीं उगेंगे। तुम सभी ने, यादब को छोड़कर, मुझे जो उस बीज से उगे ही नहीं  वो पेड़ लाके दिया। यादब ही  एकमात्र व्यक्ति था जो ईमानदारी के साथ मुझे  मटके में मेरा बीज ही लौटाने का सहस किया। इसलिए, वही व्यक्ति है जो अगला सम्राट बनेगा!"





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