टूटे हैं इस तरह के हम, शायद फिर ना जुड़ पाए
अब जुड़े तो किस काम के, जब दिल के टुकड़े हो गए।
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क्यों बार बार तू सताए मुझे, मेरी यादों में आए तड़पाए मुझे
फैसला तेरा था और मान मैंने लिया, फिर किस बात का कर्ज चुकाना है मुझे।
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तुमसे मेरा मिलना जैसे, कोई साजिश थी खुदा की
कभी मिले भी नहीं फिर भी बिछड़ ना सके
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हर सजा मंजूर था हमें, तुमने तो बेगुनाही का इल्ज़ाम दिया
कभी रूह में उतारा था हमें, आज फिर दिल से क्यूं निकाल दिया।
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कहने को तो समय रुकता नहीं है
मगर जिस पल कोई अपना बिछड़ जाए,
उसके बाद समय तो आगे बढ़ता भी नहीं है
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खत्म होता ही नहीं, तेरे यादों का रेगिस्तान, सफर कोई और तय करूं कैसे
जिस और देखूं बस तेरे निशां मिले, कदम कहीं और में रखूं कैसे।
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ऐ जिंदगी तू अजनबी क्यूं, क्या थी कमी तुझे अपनाने में
हर लम्हा ये बेरुखी क्यूं, क्या थी कमी तुझे चाहने में।
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फिर से ना मिला कर तू बिछड़ने के वास्ते
ऐ राहगुजर ना तू ठहर अब अलग हैं मेरे रास्ते।
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काश हमे पता होता तेरे दिल का राज
हम भी छलते,हम भी खेलते तेरे दिल के साथ।
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दिल सुधर जा अब बिगड़ने को बाकी क्या है
तबाह है उमीद की बस्ती अब उजड़ने को बाकी क्या है
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