अंधेर बिना दीपक अनमोल नहीं, बगैर गुरू के ज्ञान का मोल नहीं
पथ्थर को निखार कर मूरत बनाता है, गुरू ईमानदारी से जिम्मेदारी निभाता है,
मंज़िल चुनने का फैशला है हमारा, वहाँ पहुंचने का रास्ता गुरू बताता है,
माँ बाप ने दिया है बच्चों को पर गुरू उन परों से उड़ना सिखाता है,
सबर की छड़ी से आम को ख़ास बनाता है, ऐसे शिक्षक नाजुक परिंदों को बाज़ बनाता है
ज़िन्दगी को तय करना है काँटों का रास्ता, उस्ताद है जो सिखाता है फूल बिछाना
दिल से दुआ करता है तरक्की के लिए हमेशा इन्होंने चाहा है हमें आगे बढ़ाना
हलाकान कर देता है एक बच्चा माँ को, गुरू इतने बच्चों को कैसे संभाल लेता है,
माँ बाप सम्भालते है एक उम्र तक बच्चे, शिक्षक ये जिम्मेदारी हर साल लेता है
कोटि कोटि नमन है तुम्हे हे गुरु, मेरे जीवन की हर सफलता आपको समर्पण है.
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