एक समय की बात है, एक गाँव जहां के निवासियों की अजीब-अजीब आदतें थीं, वहाँ एक ऐसा भूतिया घर था जो थोडा सा अलग था। इस घर में बहुत सारे भूतों
के साथ एक ऐसा भूत भी था जो खुद को
वन-लाइन कॉमेडियन समझता था। हर रात, निवासियों को वेरानियों में गूंज रहे
हास्यस्पद वाक्य महसूस होता था , जो उन्केव मन में डर नहीं बल्कि
मस्ती पैदा कर रहे थे।
वो भूत, जिसने अपने आप को एक महान हास्य कबी कहता था, भुतिया हास्य कबी
सम्मलेन आयोजित करता था। उसके भूतिया
श्रोता, चूहे और मकड़ियों की उन्हें प्रतिक्रिया मिलती थी,
जिनसे घर की दीवारें उनकी संयुक्त संतोष से कांप उठती थीं।
उस दिन एक तूफानी रात थी, एक साहसी नौजवान लड़की लिली, दबी दबी कदमों से भुतिया घर के अंदर जाने का निर्णय लेती है। जब वह भय दिल में
लिए सबसे छुपते हुए वेरानियों में आगे बढ़ने लगती है, तो
पीछे से एक आवाज सुनाई देती है जो कह रही है, "गणित
किताब क्यों उदास थी? क्योंकि उसमें बहुत सारी समस्याएं
थीं!" जब वह पलटी तो उसने देखा कि भुतिया हास्य कबी वहाँ लटक रहा है, अपने
भूतिया दाँतों के साथ मुस्कान बिखेरता हुआ।
डर के बजाय, लिली हंस पड़ी। भुत भी अचंभित हो गया; क्यूँ
की आज तक किसी ने कभी उसकी महान कबिताओं के हंसी नहीं उड़ाई थी। धीरे-धीरे, उस भूतिया घर हंसी से भरने लगा
जैसे ही लिली और भुतिया हास्य कबी एक के
बाद एक बेहतरीन चुटकुले बांटने लगे।
उस दिन से, भूतिया घर डर के लिए नहीं, बल्कि हंसी के लिए पहचाना
जाता था। और भुतिया हास्य कबी ने अंत में अपना पहचान पाया दुनिया के पहले (और एकमात्र) स्टैंड-अप कॉमेडियन
भूत के रूप में।
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